वो पहला अहसास ....
उस दिन जब पहली
बार तुम्हे देखा था
पता नहीं वह क्या था ??
जो मैंने महसूस किया था
अचानक धडकने बढ़ गयी थी
एकपल को तो लगा
भी उखड गयी थी
भूल गया मैं की
वहां क्यों आया था
तुम्हारे रूप ने ऐसा
मुझे भरमाया था
पर तुमने एक बार भी
पलके नहीं उठाई
मुझ अकिंचन नै
नै किस्मत
कहाँ थी ऐसी पाई
मैं बुत समान खडा था
दीवाना था की
शायद मनचला हो चला था ..
कुछ क्षण मैं
न जाने क्या क्या
बीत गया
मेरा मन तब
तुम्हारे जाने
के साथ ही रीत गया ...!!!!!
सुजाता दुआ
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