Monday, March 16, 2009

टूटे सपने चुनता है .....

कभी सोचा है
एक दिन में
दिल कितनी बार
टूटता है....
और कितनी
बार सिलता है....
कुछ तरल सा
उसमें से निकलता
है और फिर
आंखों के रास्ते
बह जाता है ....
फिर संभलता है
निर्बाध ....
स्पंदित होता है
ना जानें ...?
कठिन पलों को
गिनता है या
टूटे सपने चुनता है