Thursday, April 23, 2009

हम सब के कितनें ही ख्वाब ऐसे होते हैं ..जों देखते ही देखते
जल कर राख हो जाते हैं तब जज्बातों की आँधी में ऐसा लगता
है जैसे जर्रा जर्रा हमारे ख़िलाफ़ साजिश कर रहा है जैसे किस्मत
के तमाम सितारे करवट लिए ...मुहँ फेर कर बैठे हैं ....
कुछ इसी तरह के दर्द में इस नज्म का जन्म हुआ था



मुजमिन्द रहा फिर भी ......

जल गया ख्वाबे जहाँ
रात कुटना हो गयी
बेच कर सारे जज्बात
हर उम्मीद सो गयी

उठ रहा था उस तरफ़
सुर्ख लाल सा धुआं
हो रहा था हर तरफ़
ख्वाबे -कत्ले -आम वहाँ

हवा थी बेहद गरम
शयातीन सारी फिजा
कर रहा था जैसे साजिश
जर्रा -जर्रा बारहा

स्याह परदों ने छुपाई
उम्मीद की हर किरण
लिए करवट बैठे रहे
सितारे तमाम बेरहम

कुल्ब:अहजां हो चला था

चाहे मेरा जहाँ ............ ।
मुजमिंद रहा था फिर भी
ऐ खुदा तुझ पे यकीं ....!!!!!
सुजाता


कुटना:middle man
कुल्ब:अहजां :a cottage of sorrow
मुजमिंद: stable
शयातीन:demon or devil