
वो सड़क
जहां पर अब हमेशा
अँधेरा रहता है ....
अक्सर दिखती है मुझे
बाट जोहती हुई
मुसाफिर की ....
भूल भी जाऊं अगर
सुनहरा सपनीला सफ़र
तो क्या ?
धुंधली हो जायेगी
वो चमक
आत्मा से .....??
जो दमका करती है
निरंतर ........
अक्सर सोचती हूँ ..
अच्छा नहीं है
बीते पलों से
इतना प्यार कि
परछाइयां
जीवन भर इस तरह
पीछा करती रहें
कि फिर
उनके न होनें का
एहसास ही
कचोटनें लगें
क्या करुँ?
बाँट जोहते देखूं ??
अंधेरी सड़क को
या फिर उसे
आलोकित हो जाने दूं
अनेक वर्षों की
तपस्या के पावन
दियों से !!!!!
सुजाता दुआ