Tuesday, November 25, 2008

अज्ञेय जी की कविताएँ

साँप

साँप !
तुम सभ्य तो हुए नहीं
नगर में बसना
भी तुम्हें नहीं आया
एक बात पूछूँ -( उत्तर दोगे ?)
तब कैसे सीखा डँसना-
विष कहाँ पाया ?
अज्ञेय
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जो पुल बनाएँगें

जो पुल बनाएँगें
वे अनिवार्यत :
पीछे रह जाएँगे
सेनाएँ हो जाएँगी पार
मारे जाएँगे रावण
जयी होंगें राम ,
जो निर्माता रहे
इतिहास में
बंदर कहलाएँगे
अज्ञेय
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