मेरे जीवन के आधार स्तम्भ
मेरी आस्था...
... मेरा श्रम
लोग कहते हैं.... ॥
है यह कम ......
हैं दोनों ही केवल दृष्टिभ्रम
निरुतरित मैं चुप हो जाती हूँ
बा कोशिश भी
कोई जवाब भी नहीं पाती हूँ
जानती हूँ कर दिया है सबनें
इनका अन्त्याकर्म
फिर भी यही हैं मेरे हमदम
सुजाता दुआ