Monday, May 30, 2011

 एक ख़याल ही था शायद  जो आ कर  लौट गया चुप चाप
अगर  तुम होते  तो यकीनन   खिलखिलाती सब दिशाएँ

चलो न आओ न सही 
न बुलाओ न सही

बन जाओ ख़याल ही अगर तो
दिल  बहल जाएगा 
सफा ऐ   जिन्दगी में एक ख्वाब तो मुस्कराएगा