Sunday, December 28, 2008

थोड़ा सा जी लो ..


मुझे हमेशा लगता है ..
तुम सिर्फ़ वो नहीं हो ...
जैसे दीखते हो .......

अच्छा तुम ही बताओ
क्या दिखने भर से हम
वैसे ही हो जाते हैं ..??
जैसे लगते हैं ......

कितनी ही आकान्शाओं को
हम दबाते हैं अक्सर ...
क्योंकि उनका होना
तथाकथित रूप से
ठीक नहीं होता ...!

पर कभी सोचा है !
क्या दबा देने से
मर जाती हैं .??
..आकान्शायें ....


या की फिर सिर्फ़
धूमिल हो जाती हैं .....


हवा का एक तेज झोंका
और फिर साफ़ नजर
आनें लगती है तस्वीर
अबकी बार ......
और भी दमकते रूप में....

की फिर उसकी चमक से
चौंधिया जाती हैं आँखें ....


तो बेहतर क्या है .....
थोड़ा सा जी लो ..
अपनी लिए भी
की फिर शायद
थोडा सा दर्द कम हो जाए
जो टीसता है अक्सर ....
सुजाता दुआ