दूध सा शफ्फाक हुआ करता था
ख़याल जब बचपन में हुआ करता था
झांसी की रानी और राणा प्रताप का घोड़ा
कल्पना में अक्सर रूबरू हुआ करता था
खून भी रगों का बहुत उबाल खाता था
ख्वाब में भी गर दुश्मन आँख उठाता था
आज जब वक्त है और जवानी भी
खून भी है गरम है रगों में रवानी भी
झांसी की रानी को भूल कर
चेतक की स्वामी भक्ति रख ताक पर
मैं मशगूल हूँ हर दिन के काम
और ऐशो -आराम में
भूल कर खुद को हर रोज मिटा जाता हूँ
न खुद के लिए न देश के लिए जीता हूँ
हर रोज ..हर पल मरा करता हूँ
फिर भी गरूर है की जिया करता हूँ
ख़याल कुछ आते नहीं मटमैली तस्वीर हूँ
एक शहरी हूँ .. धुंआ हर पल पिया करता हूँ
स्याह हूँ ....स्वाह हो रहा हूँ मैं
शफ्फाक ख्यालों से दूर हो रहा हूँ मैं
पलट कर देखने से भी डरता हूँ और
दिखाता हूँ के साथ सब लिए चल रहा हूँ मैं
ख़याल जब बचपन में हुआ करता था
झांसी की रानी और राणा प्रताप का घोड़ा
कल्पना में अक्सर रूबरू हुआ करता था
खून भी रगों का बहुत उबाल खाता था
ख्वाब में भी गर दुश्मन आँख उठाता था
आज जब वक्त है और जवानी भी
खून भी है गरम है रगों में रवानी भी
झांसी की रानी को भूल कर
चेतक की स्वामी भक्ति रख ताक पर
मैं मशगूल हूँ हर दिन के काम
और ऐशो -आराम में
भूल कर खुद को हर रोज मिटा जाता हूँ
न खुद के लिए न देश के लिए जीता हूँ
हर रोज ..हर पल मरा करता हूँ
फिर भी गरूर है की जिया करता हूँ
ख़याल कुछ आते नहीं मटमैली तस्वीर हूँ
एक शहरी हूँ .. धुंआ हर पल पिया करता हूँ
स्याह हूँ ....स्वाह हो रहा हूँ मैं
शफ्फाक ख्यालों से दूर हो रहा हूँ मैं
पलट कर देखने से भी डरता हूँ और
दिखाता हूँ के साथ सब लिए चल रहा हूँ मैं