Thursday, January 29, 2009

माँ मुझसे अक्सर रूठ जाती है
मेरी आदतों से बहुत वो घबराती है

पर अपनी हर दुआ में वो मेरा ही सुख मनाती है
सुजाता दुआ
वो अक्सर आवाज देता है मुझे पीछे से
मुड कर देखूं तो नजर नहीं आता

मेरा साया है वो हर दम मेरे पीछे छुप जाता है
सुजाता दुआ
कल रात वो लम्हा बहुत देर तक नहीं बीता
तुम्हारी महक उस लम्हें में समाई थी

यह और बात है कि हर तरफ तन्हाई थी
सुजाता दुआ