Friday, October 5, 2012

तुमने कहा था 

उसने कहा था .यही दोहराता रहा वो  
तेरे दर से  लौट के   आता रहा   वो  

नासमझ ...है ..कहानियाँ बनाता  है  
कल जरुर आओगी ..खुद को समझाता है  

कोई शीशा था याकी  दिल टुकड़ों में पड़ा था  
हर टुकड़े में तस्वीर तेरी   सजाता रहा वो   

 सब कहते हैं दीवाना है याकि  पागल  है  वो 
किस्से हीर रांझा ..लैला मजनूं से सुनाता है वो    

गीत मुहब्बत के  गाता है और खुश हो जाता है 
दीवाना  है मगर होश वालों को सिखाता है  

इशक  है तो जुनूं  भी जरुरी   हुआ करता है 
दीवानों से तभी तो ज़माना डरा करता है