हम सब के कितनें ही ख्वाब ऐसे होते हैं ..जों देखते ही देखते
जल कर राख हो जाते हैं तब जज्बातों की आँधी में ऐसा लगता
है जैसे जर्रा जर्रा हमारे ख़िलाफ़ साजिश कर रहा है जैसे किस्मत
के तमाम सितारे करवट लिए ...मुहँ फेर कर बैठे हैं ....
कुछ इसी तरह के दर्द में इस नज्म का जन्म हुआ था
मुजमिन्द रहा फिर भी ......
जल गया ख्वाबे जहाँ
रात कुटना हो गयी
बेच कर सारे जज्बात
हर उम्मीद सो गयी
उठ रहा था उस तरफ़
सुर्ख लाल सा धुआं
हो रहा था हर तरफ़
ख्वाबे -कत्ले -आम वहाँ
हवा थी बेहद गरम
शयातीन सारी फिजा
कर रहा था जैसे साजिश
जर्रा -जर्रा बारहा
स्याह परदों ने छुपाई
उम्मीद की हर किरण
लिए करवट बैठे रहे
सितारे तमाम बेरहम
कुल्ब:अहजां हो चला था
चाहे मेरा जहाँ ............ ।
मुजमिंद रहा था फिर भी
ऐ खुदा तुझ पे यकीं ....!!!!!
सुजाता
कुटना:middle man
कुल्ब:अहजां :a cottage of sorrow
मुजमिंद: stable
शयातीन:demon or devil
Thursday, April 23, 2009
Sunday, April 19, 2009
कैसा विस्तार है यह ..?
कैसा विस्तार है यह ..?
अब भी
मिटटी कि सौंधी महक
लुभाती है मुझे
और कराती है मुझे
मेरे होनें का एहसास
हाँ ....!!!!!!!
मैं हूँ अब भी ' वही' !!!!
फैले कार्य विस्तार को समेट
मैं कह उठती हूँ ......
फिर दूसरे ही पल
सोचती हूँ ....?
क्यों हुई इतनी विस्तारित
कि लुप्त हो गयी ......
और अकेली रहने को
अभिशिप्त हो गयी ...
कैसा विस्तार है यह ..?
जहाँ स्व- अस्तित्तव लुप्त है ?
सुजाता दुआ
अब भी
मिटटी कि सौंधी महक
लुभाती है मुझे
और कराती है मुझे
मेरे होनें का एहसास
हाँ ....!!!!!!!
मैं हूँ अब भी ' वही' !!!!
फैले कार्य विस्तार को समेट
मैं कह उठती हूँ ......
फिर दूसरे ही पल
सोचती हूँ ....?
क्यों हुई इतनी विस्तारित
कि लुप्त हो गयी ......
और अकेली रहने को
अभिशिप्त हो गयी ...
कैसा विस्तार है यह ..?
जहाँ स्व- अस्तित्तव लुप्त है ?
सुजाता दुआ
प्रेम - परिभाषा ..
प्रेम - परिभाषा ..
कुछ कहूं इससे पहले ही
तुम जान जाते हो
कैसे शब्दों को बिन कहे
पहचान जाते हो
कहाँ सीखी तुमनें
मौन की भाषा
क्या यही है
प्रेम - परिभाषा ..?
'समर्पित रहें सारे एहसास
न हो कहीं विरोधाभास
संशय न रहे आस पास
इतना हो अटूट विश्वास '
'मैं' कहीं न नज़र आए
'हम' में ही दुनिया समाये
चलो आज फिर दुहरायें
मिल कर यह कसम खाएं
सुजाता दुआ
कुछ कहूं इससे पहले ही
तुम जान जाते हो
कैसे शब्दों को बिन कहे
पहचान जाते हो
कहाँ सीखी तुमनें
मौन की भाषा
क्या यही है
प्रेम - परिभाषा ..?
'समर्पित रहें सारे एहसास
न हो कहीं विरोधाभास
संशय न रहे आस पास
इतना हो अटूट विश्वास '
'मैं' कहीं न नज़र आए
'हम' में ही दुनिया समाये
चलो आज फिर दुहरायें
मिल कर यह कसम खाएं
सुजाता दुआ
Thursday, April 16, 2009
Tuesday, April 14, 2009
A beautiful ...... gift
life is too bored
people have no time
for their love,friends
not even for their families
are they become tight -fisted
or self centered
they can hate
but not
love others...?
"No Its Not"
suddenly I got
reply....
I left surprised
who is he ...?
My soul replied
It's me dear
do not bother about anyone
the creater and destroyer
are within us
love yourself and
be good to the needy
and life become
beautiful for you
I feel
as if
I heard voice of god
aah .....
it's the gift
I never had before
Poet: Sujata Dua
Copyright © 2009 Sujata Dua
read: 3440 times Rating:**** Date: 10 February, 2009
This poetry has won the poetry craze compitition of march 2009
people have no time
for their love,friends
not even for their families
are they become tight -fisted
or self centered
they can hate
but not
love others...?
"No Its Not"
suddenly I got
reply....
I left surprised
who is he ...?
My soul replied
It's me dear
do not bother about anyone
the creater and destroyer
are within us
love yourself and
be good to the needy
and life become
beautiful for you
I feel
as if
I heard voice of god
aah .....
it's the gift
I never had before
Poet: Sujata Dua
Copyright © 2009 Sujata Dua
read: 3440 times Rating:**** Date: 10 February, 2009
This poetry has won the poetry craze compitition of march 2009
हाथ अगर तुमनें ....जरा बढाया होता
छुप छुप के ना पोंछते हम आँसू अपनें
हाथ अगर तुमनें ....जरा बढाया होता
यूँ तो बिकते हैं 'आँसू ' बेमोल हर जगह
झूठा ही सही कुछ मोल तुमनें लगाया होता
बात दिल में ही रख लेती तो अच्छा होता
खुद को सरे आम रुसवा तो ना कराया होता
होनें लगे एहसास.... बेनकाब यकबयक
काश तुमनें इमानें मुहब्बत निभाया होता
अब भी कहते हो तुम"हमें बताया होता"
जखम दिल का कभी दिखाया होता
हाथ अगर तुमनें ....जरा बढाया होता
यूँ तो बिकते हैं 'आँसू ' बेमोल हर जगह
झूठा ही सही कुछ मोल तुमनें लगाया होता
बात दिल में ही रख लेती तो अच्छा होता
खुद को सरे आम रुसवा तो ना कराया होता
होनें लगे एहसास.... बेनकाब यकबयक
काश तुमनें इमानें मुहब्बत निभाया होता
अब भी कहते हो तुम"हमें बताया होता"
जखम दिल का कभी दिखाया होता
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