I owe to my dream world
Thursday, April 16, 2009
कौन
जीता
है
आज
किसी
के
लिए
जब
मुर्दा
हैं
तमाम
एहसास
अपनें
ही
लिए
कभी
लिखे
थे
गीत
जिस
महजबीं
के
लिए
आज
बेखोफ
बोता
हूँ
कांटे
उसी
के
लिए
प्यार
कुछ
नहीं
बस
आंखों
का
धोखा
है
जो बुना था मैने कभी
खुशी
के
लिए
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