अंतिम ख्वाहिश
आज जी चाहता है कहती रहूँ
प्रेम के दरिया मैं बहती रहूँ
खुदा न करे डूब जाऊं अगर
तुम से न मिल पाऊँ अगर
प्रिय इतना तो कर देना
दिल के पिछले कमरे मैं
थोडी सी जगह देना
चुपचाप पड़ी रहूँ गी.....
जरा दरवाजेदिल खुला रखना
की नगमों की आहट सुनती रहूँ
कुछ खवाब मैं भी बुनती रहूँ
सुजाता दुआ
आज जी चाहता है कहती रहूँ
प्रेम के दरिया मैं बहती रहूँ
खुदा न करे डूब जाऊं अगर
तुम से न मिल पाऊँ अगर
प्रिय इतना तो कर देना
दिल के पिछले कमरे मैं
थोडी सी जगह देना
चुपचाप पड़ी रहूँ गी.....
जरा दरवाजेदिल खुला रखना
की नगमों की आहट सुनती रहूँ
कुछ खवाब मैं भी बुनती रहूँ
सुजाता दुआ
No comments:
Post a Comment