पूछो कुछ तो कहानियां बनाता है
हर बात को हंस के टाल जाता है
जखम जमाने से खाए हैं इतने की
जाम कतरा कतरा दरद में ढालता है
मुड कर देखना पसंद नहीं था कभी
यारी पर ग़मों से हर लम्हा पालता है
जहन स्याह परछाइयां मायूस हैं मगर
कागज़ पर खुशनूमा तस्वीरें निकालता है
कहता है गम बिक जाते हैं सही- सही
दर्द बड़ी शिद्दत से बोलो में उतारता है
रात भर गीतों में सपने उडेलता है
हर सुबह सूरज को हाथों से उकेरता है
कहता है बुजदिल हैं वो जो ग़मों में रोया करते हैं
काबिल तो तलवार की धार पर उम्र निकाल जाते हैं
हर बात को हंस के टाल जाता है
जखम जमाने से खाए हैं इतने की
जाम कतरा कतरा दरद में ढालता है
मुड कर देखना पसंद नहीं था कभी
यारी पर ग़मों से हर लम्हा पालता है
जहन स्याह परछाइयां मायूस हैं मगर
कागज़ पर खुशनूमा तस्वीरें निकालता है
कहता है गम बिक जाते हैं सही- सही
दर्द बड़ी शिद्दत से बोलो में उतारता है
रात भर गीतों में सपने उडेलता है
हर सुबह सूरज को हाथों से उकेरता है
कहता है बुजदिल हैं वो जो ग़मों में रोया करते हैं
काबिल तो तलवार की धार पर उम्र निकाल जाते हैं
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