Thursday, October 11, 2012

सही- सही शक्ल

हम में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने सही- सही शक्ल  जिन्दगी की देखी हो  ...हम से कोई भी यह नहीं जानताकी जिन्दगी की किताब मे  लिखा क्या है ..बस जो भी सामने आता है उसे ही हम जी और भोग लेते हैं .

बहुत छोटी  छोटी  बाते होती हैं जिनसे अगर चाहो तो जिन्दगी को वह रूप दे दो जैसा हम हमेशा से चाहते हैं ...शुक्रिया ..माफ़ कीजिएगा ....दो बहुत छोटे शब्द हैं जिनका समय और स्थिति अनुसार प्रयोग किया जाए तो बहुत सी अवांछित स्थितियों से बचा जा सकता है .....किसी अपने को देख कर मासूम  सी मुस्कराहट दे कर न सिर्फ आपको अच्छा लगेगा सामने वाला भी उस एक  क्षण के लिए अपनी परिस्थ्तिती भूल करआपकी  मुस्कराहट का जवाब मुस्कराहट से ही देगा ....घर -बाहर  की छोटी -2 बातों में अनावश्यक जल्दी से बच कर
अगर शान्ति और गंभीरता से कामों को किया जाये तो वेह सिरे से सही और संतुष्टिदायक होते हैंऔर फिर   जब दिन अच्छा बीतता है तो रात को तकिये   पर सर रखते ही नींद आपको आगोश में  ले लेती है  .....


 सब ठीक हैं ..आप खुश हैं ....आपके आस पास के लोग खुश हैं .......तो जिन्दगी का इससे हसीन  रूप कोई और हो सकता है क्या  ..?

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