समझा न उसनें मुझ से कहा न गया
जखम दिल का कभी दिखाया न गया
महफिले चरागाँ है वो हम जानते हैं लेकिन
दिल का अँधेरा उससे मिटाया न गया
कल तक जो मिलता था रोज मुस्करा के
फटे हाली में आज 'मैं' उससे पहचाना न गया
बेहद अम्ली है वो हर पल रंग बदलता है
गोया तभी हमसे वो कभी परखा न गया
ऐ काश की समझता वो हाल- ए - दिल
कितना वीरानां है वहाँ हमसे बताया न गया
सुजाता
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