Monday, February 16, 2009

समझा न उसनें मुझ से कहा न गया
जखम दिल का कभी दिखाया न गया

महफिले चरागाँ है वो हम जानते हैं लेकिन
दिल का अँधेरा उससे मिटाया न गया

कल तक जो मिलता था रोज मुस्करा के
फटे हाली में आज 'मैं' उससे पहचाना न गया

बेहद अम्ली है वो हर पल रंग बदलता है
गोया तभी हमसे वो कभी परखा न गया

ऐ काश की समझता वो हाल- ए - दिल
कितना वीरानां है वहाँ हमसे बताया न गया
सुजाता

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