गति और ठहरावठहेरे हुए पानी में
जीवन तलाशते
जब मन उ च ट नें लगे
तो ........................
रंग बिरंगी तितलियाँ भी
नहीं भरमाती मन को
लंबा ठहराव......
स्थूलता ले आता है शायद
लगातार उड़ते पंछी
जब थकते हैं ......
तो ..........
खुला नीला आसमान
भी उन्हें नहीं लुभाता
लगातार क्रियाशीलता से
मन निष्क्रिय हो जाता है शायद
गति और ठहराव .......
दो अनिवार्य पहिये हैं
सफल जीवन के .....
किसी एक भी अनुपस्थिति में
जीवन घिसैटनें लगता है !!!!!!
सुजाता दुआ
No comments:
Post a Comment