इंदर धनुष ..
हम सभी के पास होता है
...एक इंदर धनुष ...
जिसकी रंगबिरंगी तारें
जुडी रहती हैं हमारे ...
...मन-मस्तिषक से .....
जब तक इन तारों पर
सुर बजते हैं .......
संतुलन बना रहता है
दिल और दीमाग का
बिन स्पंदन .......
इन्देर्धनुशी तारें ...
भूलने लगती हैं .....
जीवन -राग ...
और तभी जनम लेता है
असह्य विराग ....
सादर ,
सुजाता दुआ
Posted by sangharshhijiwan at 8:49 PM
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