I owe to my dream world
Tuesday, December 22, 2015
किसी पाकदिल से मिले अब ज़माना हुआ
नकाबपोशों की बस्ती मैं हर शख्स बेगाना हुआ .
दुहाई देते रहे वो बदले ज़माने की
टटोला खुद को तो अपना चेहरा भी खुद से अंजाना हुआ .
1 comment:
Online Shopping Deals
said...
bahut khub
December 30, 2015 at 1:17 AM
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
bahut khub
Post a Comment