किसी- किसी के तो महज वाकय ही कहानी कहते से लगते हैं ..हर शब्द के पीछे गहरी छाप होती है आत्मानुभूति की ...इतनी प्रत्यक्ष सच्चाई की आपको आपका अनुभव फीका दिखाई देने लगता है ...आखिर क्या - क्या देखा ? क्या-क्या महसूस किया ? जो इतनी सी उम्र में इतना सब समझ लिया !
गहराई को बाहर से खड़े हो कर नापना खुद को सांत्वना देने जैसा है ...गहराई नापने से जयादा जरूरी है उसे अनुभव करना ....
गहराई को बाहर से खड़े हो कर नापना खुद को सांत्वना देने जैसा है ...गहराई नापने से जयादा जरूरी है उसे अनुभव करना ....
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