Friday, January 11, 2013



खामोशी को मिलती हो  जहां  जुबान 
मुझे वो जहाँ  दे दो 

बहुत वक्त   से पहने हैं   होंठों ने पेबंद 
  इन्हें एक नया पेरहन दे दो 

हसरते कितनी खामोश सिसकती हैं यहाँ 
मिले जाए   पनाह वो जहाँ दे दो 

या मेरे हिस्से के आसमान को 
कैद से रिहा दे  दो 

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