Sunday, January 1, 2012



बादलों की ओट में सोया
 जैसे कोई  ख्वाबहो गोया
किस्मत का तारा अगर
मिल जाए यूँ ही अगर
चलते ....चलते...
 निकल आयी धूप से जैसे
कोई एहसास उतरता है
होले
धीरे से
मन में..................

मैं तो यह सोचती थी की
कोई ख्वाब नहीं होता  सच
मगर
आज यह भरम भी खोया
अच्छा अगर है यह सच तो
फिर से एक ख्वाब सजायें
और इस जहां को  हम
राज यह भी आज बतायें
की  मांगो  अगर कुछ तो
विश्वास भी जरा रखना
मिलता नहीं यूँ ही  किसी को
सस्ते में  जहां इतना
निकल आयी  धूप   से जैसे
कोई एहसास उतरता है
होले ...
धीरे से ...
मन  में 

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